google.com, pub-7680017245162656, RESELLER, f08c47fec0942fa0 श्रीमद् भागवत् गीता

श्रीमद् भागवत् गीता

SANJAY NIGAM



श्रीमद् भगवद गीता में कुल मिलाकर 18 योग हैं, जिनके परिणामस्वरूप विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विषयों का विवेचन किया गया है। ये 18 योग इस प्रकार हैं:


1. अर्जुनविषाद योग (अध्याय 1)

2. सांख्य योग (अध्याय 2)

3. कर्म योग (अध्याय 3)

4. ज्ञान कर्म संन्यास योग (अध्याय 4)

5. कर्म संन्यास योग (अध्याय 5)

6. ध्यान योग (अध्याय 6)

7. अक्षरपरम योग (अध्याय 7)

8. अक्षरब्रह्मयोग (अध्याय 8)

9. राजविद्या गुह्य योग (अध्याय 9)

10. विभूतियोग (अध्याय 10)

11. विश्वरूपदर्शनयोग (अध्याय 11)

12. भक्तियोग (अध्याय 12)

13. क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोग (अध्याय 13)

14. गुणत्रयविभागयोग (अध्याय 14)

15. पुरुषोत्तमयोग (अध्याय 15)

16. दैवासुरसम्पद्विभागयोग (अध्याय 16)

17. श्रद्धात्रयविभागयोग (अध्याय 17)

18. मोक्षसन्न्यासयोग (अध्याय 18)


ये योग भगवद गीता के अध्याय हैं और हर एक योग विभिन्न पहलुओं और आदर्शों को समझाने का प्रयास करते हैं।

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