google.com, pub-7680017245162656, RESELLER, f08c47fec0942fa0 गुरु पूर्णिमाँ

गुरु पूर्णिमाँ

SANJAY NIGAM


गुरु पूर्णिमा, भारतीय धार्मिक परंपरा में एक महत्वपूर्ण और उत्साहजनक त्योहार है। यह हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसे गुरुदेव की पवित्रता और आदर्शता को स्मरण करने के लिए समर्पित किया जाता है। यह त्योहार गुरु-शिष्य परंपरा में विशेष महत्व रखता है और शिष्यों द्वारा अपने गुरुओं का सम्मान करने का अवसर प्रदान करता है।


गुरु पूर्णिमा का इतिहास बहुत पुराना है। इसे महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा है, क्योंकि वेद व्यास महाराज हिंदू धर्म के प्रमुख गुरु माने जाते हैं। वेद व्यास ने महाभारत का रचना किया और वेदों को आदि से अन्त तक संकलित किया। इसलिए, उनका जन्मदिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाने का आदर्श माना जाता है।


गुरु पूर्णिमा के दिन, लोग अपने गुरुओं के सम्मान में विभिन्न आयोजन करते हैं। शिष्य अपने गुरु के चरणों को स्पर्श करते  हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। यह दिन भक्ति, समर्पण और श्रद्धा के भाव से भरा होता है। लोग मंदिरों और धार्मिक स्थलों में जाकर पूजा-अर्चना करते हैं और आदर्श गुरु की प्रतिमा के सामने फूल चढ़ाते हैं।


गुरु पूर्णिमा का अर्थ गुरु के पूर्ण होने का प्रतीक है। गुरु की शिक्षा और मार्गदर्शन से हमें आत्मविश्वास, ज्ञान और आदर्शों की प्राप्ति होती है। गुरु हमारे जीवन में प्रकाश और दिशा देते हैं और हमें अपनी प्रारंभिक भूमिका से ऊँचाइयों तक ले जाते हैं। गुरु पूर्णिमा पर हमें अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर प्राप्त होता है और हमें उनके प्रति समर्पित रहने का संकल्प लेना चाहिए।


गुरु पूर्णिमा का अत्यंत महत्व है। यह एक अवसर है जब हम अपने जीवन में गुरुओं को याद कर सकते हैं और उनके द्वारा हमारे जीवन में प्रभावित किए गए महत्वपूर्ण मार्गदर्शन का आभार व्यक्त कर सकते हैं। यह त्योहार हमें गुरुशिष्य सम्बन्ध का महत्व और आदर्श को याद दिलाता है।


इस अवसर पर हमें गुरुओं के जीवन और संदेश से प्रेरणा लेनी चाहिए। गुरु हमें धार्मिक ज्ञान, आध्यात्मिकता, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझाते हैं। उनके मार्गदर्शन में हम सही और सत्य मार्ग पर चल सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक और उच्चतम आदर्शों के साथ जी सकते हैं।


गुरु पूर्णिमा एक सामाजिक और सांस्कृतिक त्योहार भी है। इस दिन विभिन्न कार्यक्रम और समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भजन-कीर्तन, प्रवचन और कविता पाठ का आयोजन किया जाता है। छात्र-छात्राएं अपने शिक्षकों और गुरुओं के प्रति आदर व्यक्त करते हैं और उनका सम्मान करते हैं।


समाज में गुरु का महत्व निरंतर है, क्योंकि गुरु ही हमें अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में अधिक समझदार और कुशल बनाते हैं। उनका संदेश समाज के हर व्यक्ति के लिए मार्गदर्शन का कार्य करता है और सही दिशा में प्रेरित करता है। गुरु पूर्णिमा के दिन हमें गुरुओं के बलिदान, त्याग, और समर्पण का आदर करना चाहिए और उनके उदाहरण पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।


गुरु पूर्णिमा हमें समाज की एकता और सामाजिक संरचना के महत्व को याद दिलाता है। यह त्योहार हमें अपने गुरुओं के संगठनात्मक कौशल और सहयोग की महत्वपूर्णता को समझने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन कई सामाजिक कार्यों और योजनाओं का आयोजन किया जाता है, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और गरीबी निवारण जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।


इस प्रकार, गुरु पूर्णिमा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो गुरुशिष्य परंपरा की महत्वता को सार्थकता के साथ स्वीकार करता है। यह त्योहार हमें गुरुओं के प्रति आभार, गुरुभक्ति और समर्पण की महत्वपूर्णता को याद दिलाता है और हमें सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करता है। गुरु पूर्णिमा हमें समाज की संरचना, एकता और उन्नति की महत्वपूर्णता को भी समझाता है।



Post a Comment

0Comments
Post a Comment (0)
6Leci20mAAAAAI1UBOXu24_8EWYM7Xb-TnwlF3sv